Thursday 21 May 2015

२१,५,१५
साधारण*विशेष
निर्मल- स्वच्छ, साफ, विमल
तडाग: तालाब
इज्जत मिट्टी मे मिलना- सम्मान नष्ट करना।

Wednesday 20 May 2015

२०,५,१५
विव्दान* मूर्ख
मक्षिका- मक्खी
निर्धन: गरीब, रेक, ढरिदर्
ईमान बेचना- बेइमान होना

१८,५,१५

विदूषी* मुर्ख
मयूर- मोर
नारी- महिला, स्र्ती, औरत
ईद का चाँद होना- बहुत दिनों के बाद दिखाई देना।

१५,५,१५
विरोध* समर्थन
मुष्टि-मुठ्टी
नमस्कार- नमस्ते, र्पणाम, वंदन
आस्मान के तारे तोडना- असंभव कार्य करना


Wednesday 13 May 2015

१३,५,२०१५

विस्तृत* संक्षिप
मस्तक:माथा
सरिता: नदी, तटिनी, तरंगिनी
आडे़ हाथो लेना- खरी खोटी सुनाना अथवा भला बुरा कहना।

Tuesday 12 May 2015

१२,५,२०१५

विवेक*अविवेक
र्भातृ : भाई
धनुष: कोदंड, शरासन, चाप, धनु
आसमान टूट पडना- अचानक बहुत बडी समस्या आ जाना।

Monday 11 May 2015

८,४,२०१५
विलोम शब्द -गऋहण  x त्याग
परयावाची- मोक्ष-निरवाण, कैवल्य, मुक्त
अंधविश्वास- सोचे बिना विश्वास करना
अब पछताए होत क्या जब चिङिया चुग गई खेत- समय निकल जाने पर पश्चाताप करने से कोई फायदा नही।



१२,४,१५
विलोम शब्द -ककरश x मृदु
पर्यायवाची शब्द अवधि- समय, काल, मियाद
पर्यायवाची शब्द -अतिशयोक्ति- कोई भी बात बढाचढाकर कहना
खाने के दाँत और दिखाने के और- बाहर भीतर में फरक होना।




१४,४,२०१५
चिरंतन x नश्वर
अहंकार - दर्प, गर्वx
निर्निमेष - बिना पलक झपकाए देखना
खग ही जाने खग की भाषा - समान  स्वभाव वाले ही एक दूसरा की बात  समझ सकते है ।

१५,४,१५
गराहाय x त्याज्य
अतिथि - मेहमान, पाहुना, आंगतुक
किंकतर्व्यविमुढ- कुछ भी निर्णय न कर पाने की अवस्था
एक गन्दी मछली सारा तालाब गन्दा कर देती है - एक दुष्ट व्यक्ति सारे वातावरण को दूषित कर देता है


१६,४,२०१५
झोपडी - महल
अनुपम -निरूपम, अनोखा, अपूर्व
गोपनीय - छिपाने योग्य
बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद - मुर्ख व्यक्ति को गुणों की पहचान नहीं होती है



१७,४,२०१५
तरुण x वृद्ध
आश्चर्य -अचरज विस्मय , हैरानी
नवांगतुक- नया आया होआ व्यक्ति
ओखली में सिर देना- जान बूझकर मुसीबत मोल लेना


२०,४,२०१५
दया x निर्दयता
आभूषण- अलंकार, जेवर, गहना
परावलंगी- दूसरो पर आश्रित रहने वाला
कंदे से कन्धा मिलाना- सहयोग करना



२२,४,२०१५
अतिवृष्टि x  अनावृष्टि
उपहार - भेट, सौगात, तोहफ
शिरोधार्य- सिर पर धारण करने योग्य
अंधे के हाथ में बटेर लगाना- अयोग्य व्यक्ति को कुछ ऐसा मिल जाना जिसके वह लायक नहीं है।


२३,४,२०१५
अंधकार x प्रकाश
उद्देश्य- ध्येय, लक्ष्य, मकसद
सनातन- यूगो से चला आ रहा
चार चाँद लगाना- प्रतिष्ठा बढ़ाना



२४,४,२०१५
अनुराग x विराग
ऋण - क़र्ज़, उधार, कर्ज़ा, देह
हस्तक्षेप- दूसरो के  काम में दखल देना
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाये- अत्यदिक कंजूस होना

२८,४,२०१५
 दुर्जन X सज्जन
 किरण: - मरिचि, रशिम,  कर
अगम्य: - जहा जाया नजा सके।
किस्मत  खुलना: - भाग्य चमकना।

२८४,२०१५
  धर्म X अधर्म
 कोयल : - कोकिला, पिक, श्यामा
 अखाद्य: - जो खाना योग्य नही।  
 काम आना: - शहीद होना।

२९,४,२०१५
 धैर्य X अधैर्य
 किनारा: - तट, तीर, कगार
 अगोचर: - जीसे देखा न जा सके।
अपना उल्लू सीधा करना: - अपना काम निकालना या स्वार्थ सिध्द करना।  

 ४,५,२०१५
 आनंद X शोक
 क्रदन: - रोना, रुदन, विलाप
अधोयात: - आदि या  आरंभ से अंत तक।
खरी खोटी सुनना: - भला बुरा कहना।

५,५,२०१५
 आर्द्र X शुष्क
क्षति: - हानि, नुकसान, घाटा
असाध्य: - जिसका उपचार न हो।
खाक छानना: - इधर उधर भटकना।


६,५,२०१५
 कपूत X सपूत
 गृह: - भवन, घर, निकेतन, नीड़
 असंदिग्ध: - जिसमे संदेह न हो।
 खाक में मिलना: - नष्ट करना।


७, ५, २०१५
एड़ी X चोटी      
गणश: - गजानन, विनायक, लंबोदर, गौरीसुत      
अनुपम: - जिसकी उपमा न हो।        
खून के घूँट पीना: - क्रोध को भीतर ही भीतर सहना।  



८, ५, २०१५
उतार X चढ़ाव    
ग्रम: - गाँव, देघात    
अन्वेषक: - खोज करने वाला।      
खून का प्यासा: - जानी दुश्मन।


११,  ५, २०१५
बसंत X पतझड़    
देह: - शरीर, काया, तन      
अक्षि: - आँख।      
आटे दाल का भाव मालूम होना: - कठोर सत्य का आभास